न हो अज़ाब तो कोई अगर सवाब न हो शराब पीने से ईमान तो ख़राब न हो ख़ुदा को भूले हों और दिल में इज़्तिराब न हो तो क्या हो ऐसे में नाज़िल अगर इताब न हो कहीं हक़ीक़त-ए-अहवाल मिस्ल-ए-ख़्वाब न हो वो रू-ब-रू हो मगर देखने की ताब न हो अक़ीदतें भी दिलों से निकल ही जाती हैं ये और बात कि सज्दों से इज्तिनाब न हो न जाने और अभी क्या वो गुल खिलाएगा अभी से उस के सवालों के ला-जवाब न हो ख़ुदा करे कि मिरे बा'द ता-अबद मुझ सा असीर-ए-ज़ाइक़ा-ए-लज़्ज़त-ए-शराब न हो ये दिलबरी के तक़ाज़ों के भी मुनाफ़ी है कि यार सामने हो और बे-हिजाब न हो सुलूक-ए-इश्क़ में बे-फ़ैज़ हैं वो लब जिन से हुसूल-ए-लज़्ज़त-ए-शीरीनी-ए-लुआब न हो गिराँ है तब्अ' पे क्यों जाम-ओ-बादा ऐ 'गुलफ़ाम' शबाब कैसा अगर गर्मी-ए-शबाब न हो