न जाएगा किसी के गेसुओं का ख़म-ब-ख़म होना

न जाएगा किसी के गेसुओं का ख़म-ब-ख़म होना
बहुत मुश्किल है मेरे शौक़ की उलझन का कम होना

सनम-ख़ाना हो या काबा झुका दूँगा जबीं अपनी
अगर साबित हुआ मुझ पर तिरा नक़्श-ए-क़दम होना

भला क्यूँकर वो बचता आप के दाम-ए-मोहब्बत से
मुक़द्दर ही में था जिस के असीर-ए-रंज-ओ-ग़म होना

न इतनी दे कि मैं बहकूँ न तिश्ना-लब रहूँ साक़ी
ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़ साग़र दे बुरा है बेश-ओ-कम होना

नज़र वालों से पूछो तुम बुलंदी कू-ए-जानाँ की
तअ'ज्जुब क्या है उस का ग़ैरत-ए-बाग़-ए-इरम होना

फ़क़त ये सोच कर आँसू बहाता हूँ शब-ए-फ़ुर्क़त
कभी तो रंग लाएगा मिरा ये चश्म-ए-नम होना

चमन के गोशा गोशा में फ़क़त बिजली का चर्चा है
कुछ ऐसा रंग लाया है मिरा जल कर भसम होना

तह-ए-ख़ंजर भी होंटों पर मिरे आया तो ये आया
मुबारक हो सितम-ईजाद को अहल-ए-सितम होना

ख़याल-ए-हूर में दिन-रात वो बदमस्त रहता है
नहीं कुछ काम आया शैख़ का अहल-ए-हरम होना

तवक़्क़ो रहम की उस से न रख तू ऐ दिल-ए-नादाँ
कभी मुमकिन नहीं जल्लाद का अहल-ए-करम होना

अदा करके रहूँगा एक दिन मैं इस फरीज़े को
अगर तक़दीर में ही लिख गया है सर क़लम होना

हज़ारों रंज-ओ-ग़म सह कर भी मैं हँसता हूँ ऐ 'अह्मर'
बशर के वास्ते है लाज़मी साबित-क़दम होना


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