घरों में सोते सोते लोग हर रात उठने लगते हैं तो आबादी में क्या क्या इन्क़िलाबात उठने लगते हैं नहीं उठते अगर सोए हुए सुल्तान तो इक दिन जो क़ाबू में नहीं आते वो हालात उठने लगते हैं जवाब आने में लग जाती हैं अक्सर मुद्दतें लेकिन जवाब आते ही सर में फिर सवालात उठने लगते हैं वो करता है निहायत बा-दिल-ए-ना-ख़्वास्ता रुख़्सत जब उस के पास से हम बे-मुदारात उठने लगते हैं कोई सदमा नहीं उठता शुरू-ए-इश्क़ में ताहम ब-तदरीज आदमी से सारे सदमात उठने लगते हैं 'शुऊर' अपने लबों पर तुम ख़ुशी से मुहर लगने दो दबाने से तो अफ़्कार-ओ-ख़यालात उठने लगते हैं