न कर तलाश-ए-असर तीर है लगा न लगा जो अपने बस का नहीं उस का आसरा न लगा हयात लज़्ज़त-ए-आज़ार का है दूसरा नाम नमक छिड़क तो छिड़क ज़ख़्म पर दवा न लगा मिरे ख़याल की दुनिया में इस जहाँ से दूर ये बैठे बैठे हुआ गुम कि फिर पता न लगा ख़ुशी ये दिल की है इस में नहीं है अक़्ल को दख़्ल बुरा वो कहते रहे और कुछ बुरा न लगा चमक से बर्क़ की कम-तर है वक़्फ़ा-ए-दीदार नज़र हटी कि उसे हाथ इक बहाना लगा मिरी तलाश थी तशवीश-ए-दीदा-ए-बे-नूर वो मिलते क्या मुझे अपना ही जब पता न लगा