न रास आया तसव्वुर में क़ुर्बतें रखना किसी के नाम से बे-वज्ह निस्बतें रखना जहाँ भी आप पे इल्ज़ाम आने वाला हो मिरी क़सम है वहाँ मुझ पे तोहमतें रखना रिवायतों से बग़ावत के बाद मुश्किल है गुज़िश्ता दौर की क़ाएम रिवायतें रखना मुझ ऐसे ख़्वाब में जिन की नहीं कोई ता'बीर तुम ऐसे ख़्वाबों की दिल में न हसरतें रखना वो बे-नक़ाब हुआ है न होने वाला है अबस है दीद की आँखों में हसरतें रखना ख़ुलूस-ए-दिल से मिलो हर किसी से ऐ 'राही' तुम्हारा काम नहीं है रिक़ाबतें रखना