न रहे तुम जो हमारे तो सहारा न रहा कोई दुनिया-ए-मोहब्बत में हमारा न रहा अब कोई और ज़माने में सहारा न रहा जिस को कहते थे हमारा है हमारा न रहा दे दिया हज़रत-ए-ईसा ने उसे साफ़ जवाब तेरे बीमार का अब कोई सहारा न रहा क्या कहें हाल ज़माने का ख़ुलासा ये है तुम हमारे न रहे कोई हमारा न रहा क्या कहूँ अंजुमन-ए-नाज़ का हाल ऐ 'बिस्मिल' सब के चर्चे रहे बस ज़िक्र तुम्हारा न रहा