न सहरा है न अब दीवार-ओ-दर है By Ghazal << मिरे वजूद में वो इस तरह स... इसी बाइ'स तो दुनिया क... >> न सहरा है न अब दीवार-ओ-दर है चमन में नग़्मा-गर साज़-ए-सहर है सुराग़-ए-कारवान-ए-रंग-ओ-बू से सबा आवारा-ए-गर्द-ए-सफ़र है असीरो अब दर-ए-ज़िंदाँ करो बाज़ सर-ए-नाख़ुन कोई उक़्द-ए-गुहर है नदीमो दाद दो अहल-ए-जुनूँ को नमक-दाँ ज़ख़्म-ए-पा है ज़ख़्म-ए-सर है Share on: