न सुना अब मुझे तू अफ़्साना जल उठे न कहीं ये परवाना रातें काटीं हैं करवटें ले कर इश्क़ करने का है ये हर्जाना आग का दरिया पार करना है इश्क़ की राह से गुज़र जाना उन के आने से चैन आता है उन का जाना है जान का जाना क़त्ल करना नहीं है मंसूबा उन की ख़्वाहिश है मुझ को तड़पाना मानता ही नहीं कभी मेरी कितना मुश्किल है दिल को समझना हर्ज उन से नहीं है मिलने में दिल का लेते हैं पर वो हर्जाना ये अदाएँ हैं यार के फ़ित्ने हया शोख़ी ग़ज़ब का इतराना