न तेशा हम ने देखा है न जू-ए-शीर देखी है मगर हाँ कुछ तो जज़्ब-ए-इश्क़ में तासीर देखी है हर इक शय में नज़र आने लगी है आप की सूरत न जाने किस नज़र से आप की तस्वीर देखी है कहाँ से लाएगा वो क़ैस-ओ-लैला का भरम ऐ दिल ये माना तू ने हुस्न-ओ-इश्क़ की तस्वीर देखी है पलट जाएगी ख़ुद ज़ोर-ए-क़यामत अपना दिखला कर अगर बर्क़-ए-तपाँ ने हिम्मत-ए-ता'मीर देखी है हमारी ख़ाक-ए-मरक़द हर तरफ़ गुलशन में बिखरा दो कि हम ने दिल-जलों की ख़ाक में इक्सीर देखी है सितम-दीदा निगाहें कह रही हैं वाहिमा होगा जो मैं ने इक शगुफ़्ता ख़्वाब की ता'बीर देखी है न जाने आज-कल क्या हो गया है 'अस्र' को हमदम गुज़ारिश जो भी होती है बहुत दिल-गीर देखी है