न बैठ चुप तू सुना दर्द दर्द का क़िस्सा किसी बहाने उठा दर्द दर्द का क़िस्सा बहार ने लिखी है दास्तान ख़ुशियों की ख़िज़ाँ की रुत ने लिखा दर्द दर्द का क़िस्सा शब-ए-फ़िराक़ उतरने लगी ढलान से जब जवान होने लगा दर्द दर्द का क़िस्सा तुम्हारे जाने से उस पर शबाब आया था तुम आए ख़त्म हुआ दर्द दर्द का क़िस्सा अलाव जिस पे गुज़ारें ख़ुशी ख़ुशी रातें उसी अलाव में था दर्द दर्द का क़िस्सा सुना किसी को इसे बाँट ले किसी के साथ कि बढ़ गया है 'ज़िया' दर्द दर्द का क़िस्सा