हमारे जिस्म का ये मक़बरा नहीं ख़ाली तुम्हारी याद से अब तक हुआ नहीं ख़ाली फ़राग़ ख़ुद से मिला तो जहाँ से जा उलझा मिरा दिमाग़ कभी भी रहा नहीं ख़ाली दुआ को हाथ उठाते हुए हूँ ख़ाली हाथ दुआ करो कि यूँ होए दुआ नहीं ख़ाली कहीं जलाने में शामिल कहीं बुझाने में कि अपने काम से प्यारे हवा नहीं ख़ाली ये कीजिए कि मुक़द्दर बनाइए ख़ुद ही हज़ार काम हैं उस को ख़ुदा नहीं ख़ाली मिला जो हम से वो दो चार अश्क ले ही गया कि हम से मिल के कोई भी गया नहीं ख़ाली रहे न आँख में आँसू तो ख़्वाब आएँगे इसी लिए मैं उसे कर रहा नहीं ख़ाली