नई दोस्ती के फ़साने बहुत हैं मगर दुश्मनी को बहाने बहुत हैं जहाँ औरतें हुक्मराँ हो गई हैं वहाँ आलमी ताने-बाने बहुत हैं सँभलने को अहल-ए-वतन के लिए भी दिखाए जो जल्वे ख़ुदा ने बहुत हैं है इस्टार टी वी का तोहफ़ा ये शायद कि बच्चे हमारे सियाने बहुत हैं ग़ज़ल वो जो मुर्दा दिलों को जिला दे गुलों बुलबुलों के तराने बहुत हैं सलामत रहे 'शाद' रौशन-ज़मीरी तो मेहनत के दो-चार आने बहुत हैं