न हो पहलू में जब दिल ज़िंदगी क्या अरे हम क्या हमारी दिल-लगी क्या ख़याल-ए-आबरू है नश्शे में भी अरे हम क्या हमारी बे-ख़ुदी क्या मदद कुछ कर नहीं सकते किसी की अरे हम क्या हमारी दोस्ती क्या किया करते हैं सज्दे बे-दिली से अरे हम क्या हमारी बंदगी क्या तरद्दुद में गुज़रता है हर इक दिन अरे हम क्या हमारी ज़िंदगी क्या समझते हैं अदू भी दोस्त हम को अरे हम क्या हमारी दुश्मनी क्या नसीहत भी है दिल-आज़ार 'सैफ़ी' अरे हम क्या हमारी शायरी क्या