न कर किसी की मोहब्बत का ए'तिबार न कर तमाम उम्र तमन्ना को सोगवार न कर ख़ुलूस-ए-दिल है बड़ी चीज़ ज़िंदगी के लिए ज़रा से ग़म में गरेबाँ को तार तार न कर जबीन-ए-शौक़ को पामाल कर न यास के नाम यूँ ज़ुल्म अपनी जवानी पे बे-शुमार न कर उन्हें तो शाम ढले नींद आ गई होगी सहर के वक़्त सितारों का इंतिज़ार न कर कहा था उस ने तुम्हें प्यार हम भी करते हैं तो उस की बातों का ऐसे तो ए'तिबार न कर ये जान कर भी कि लंदन पे 'राज' है उस का तू मेरी मान ले उस पर यूँ इख़्तियार न कर