न किसी अक़ीक़ की जुस्तुजू न किसी गुहर की तलाश है जो किसी का दर्द बटा सके मुझे उस बशर की तलाश है जहाँ अम्न-ओ-ख़ैर की हो फ़ज़ा जहाँ एक एक पे हो फ़िदा जहाँ फ़िक्र-ओ-ग़म से मिले मफ़र मुझे उस नगर की तलाश है जो मैं फिर रहा हूँ गली गली ये न जानिए हूँ जुनूँ-ज़दा है वबाल-ए-दोश ये सर मिरा किसी संग-ए-दर की तलाश है मिरा मग़्ज़ चाटो न नासेहो मुझे छोड़ दो मिरे हाल पर हूँ मैं दिल के रोग में मुब्तला किसी चारागर की तलाश है बनी बात हस्ब-ए-दुआ मगर न गई हमारी तलब अभी न हुए हैं ख़ूब पे मुकतफ़ी हमें ख़ूब-तर की तलाश है