न शिकायत न गिला याद आया शेवा-ए-अहल-ए-वफ़ा याद आया अल्लह अल्लाह मिरा हुस्न-ए-नज़र बुत को देखे से ख़ुदा याद आया गुम हुआ जाता हूँ बैठे बैठे जल्वा-ए-होश-रुबा याद आया उस के आने से ख़ुदा को भूला वो न आया तो ख़ुदा याद आया भूल बैठा हूँ मैं अपने घर को क्यों तिरे घर का पता याद आया इस तरह डूबी है दिल की कश्ती ना-ख़ुदा को भी ख़ुदा याद आया शिद्दत-ए-ग़म से फ़राग़त न हुई मुझ को हँसना जो ज़रा याद आया बंद होती नहीं तरसी आँखें हाए क्या वक़्त-ए-क़ज़ा याद आया कू-ए-क़ातिल को चले हो 'नव्वाब' बैठे बैठे तुम्हें क्या याद आया