ता-ब-लब आई फ़ुग़ाँ दिल से जो तासीर के साथ दुश्मनी हो गई तक़दीर को तदबीर के साथ नाम तक़दीर का क्यों लीजिए तहक़ीर के साथ कुछ अदावत तो न थी कातिब-ए-तक़दीर के साथ मैं इधर चुप हूँ उधर उन का तसव्वुर ख़ामोश एक तस्वीरी बना बैठा हूँ तस्वीर के साथ फ़स्ल-ए-गुल आ गई या ये नहीं या मैं नहीं अब निभ सकेगी न मिरी पाँव की ज़ंजीर के साथ सर हथेली पे लिए आए हुए हैं सर-बाज़ खेलने के लिए क़ातिल तिरी शमशीर के साथ ता-ब-कै रू-ए-हक़ीक़त पे मजाज़ी ये नक़ाब दिल को बहलाऊँ मैं कब तक तिरी तस्वीर के साथ अपने दामन से वो ख़ुद पोंछ दें बढ़ कर आँसू जोश-ए-ग़म देख लें 'नव्वाब' जो तासीर के साथ