देख कर उठता हुआ शौक़ का सर या'नी तू काट डालेगा मिरा दस्त-ए-हुनर या'नी तो मेरी तक़दीर में लिक्खेगा अंधेरों का सुकूत रौंद डालेगा मिरी ताज़ा सहर या'नी तो बस यही है मिरे दामान-ए-सफ़र में अब तो मेरी मंज़िल है मिरी राहगुज़र या'नी तू जब भी आएगा सवा नेज़े पे ख़ुर्शीद-ए-ग़ज़ब फूलने-फलने नहीं देगा शजर या'नी तू मुझ को मा'लूम है ऐ दोस्त उठा लेता है मेरे हिस्से के सभी बर्ग-ओ-समर या'नी तू तेरे तेवर ये बताते हैं ऐ जाने वाले लौट के अब न कभी आएगा घर या'नी तू ये गुज़ारिश है मिरी तुझ से गुज़ारिश मेरी मेरी नस नस में उतर तू ही उतर या'नी तू ख़ुश्बू-ए-गुल की तरह रंग-ए-शफ़क़ की सूरत दिल के आँगन में बिखर और बिखर या'नी तू निखरा निखरा सा है उम्मीद का मौसम यूँ भी शाख़-ए-उम्मीद पे कुछ और सँवर और सँवर या'नी तू राह-ए-उल्फ़त में मुझे तेरी क़सम जान-ए-'नबील' है मिरे पेश-ए-नज़र पेश-ए-नज़र या'नी तू