कोई पंछी उड़ान में भी नहीं तीर उस की कमान में भी नहीं ज़ब्त करने की ख़ू नहीं उस में हौसला उस के मान में भी नहीं धूप इतनी है ग़म के सहरा में साया इस साएबान में भी नहीं नक़्श बर-आब हो गया हर अक्स कोई पैकर चटान में भी नहीं एक दिन अजनबी मिलेंगे हम हादिसा ये गुमान में भी नहीं जितना तारीक दिल है तेरे बग़ैर ये अंधेरा जहान में भी नहीं