मुझे रिफ़अ'तों का ख़ुमार था सो नहीं रहा तिरे दोस्तों में शुमार था सो नहीं रहा जिसे अब समझते हो बार दीदा-ओ-जान पे कभी राह-ए-मंज़िल-ए-यार था सो नहीं रहा तिरी याद भी तेरी याद थी सो चली गई तिरा ग़म ही मेरा क़रार था सो नहीं रहा रह-ए-दोस्ती के मुसाफ़िरो ज़रा देख कर इसी रह का मैं भी सवार था सो नहीं रहा वो जो पूछते हैं 'नईम' का उसे क्या हुआ उन्हें कह दो उन पे निसार था सो नहीं रहा