नफ़रत की हिक़ारत की अदावत की हुई बात अब तक न हुई उन से मोहब्बत की कोई बात अच्छी न लगी उन को शराफ़त की खरी बात जितनी भी हुई उन से शरारत की लगी बात है आज नए दौर में ताक़त की नई बात हिम्मत की कई बात शुजाअ'त की कई बात करता ही नहीं कोई मतानत की कभी बात होती है फ़क़त तंज़-ओ-ज़राफ़त की अभी बात जो शख़्स न समझे है हक़ीक़त की कोई बात ना-समझी में करता है करामत की वही बात 'राही' हो नियाबत से बग़ावत की कजी बात होती है इमामत से नदामत की बड़ी बात