नफ़्स से जो लड़ा नहीं करते रूह पर वो जिला नहीं करते क्यूँ न हो फिर फ़साद दुनिया में लोग ख़ौफ़-ए-ख़ुदा नहीं करते अहल-ए-दिल अहल-ए-ज़र्फ़ अहल-ए-नज़र बात दिल की कहा नहीं करते उन का जीना अबस है दुनिया में जो किसी का भला नहीं करते बज़्म-ए-इशरत में आशिकान-ए-तरब नाला-ए-दिल सुना नहीं करते दोस्ती क्या करूँ मैं फूलों से ये हमेशा खिला नहीं करते दर्स लो टूटते हबाबों से सर उठा कर चला नहीं करते ऐ 'जली' दहर के सताए हुए ज़िंदगी की दुआ नहीं करते