नग़्मे को लय सदफ़ को गुहर की तलाश है ख़ुश्बू हूँ मुझ को फूल से घर की तलाश है जो फ़िक्र को यक़ीन की दौलत अता करे हम को तो ऐसे दस्त-ए-हुनर की तलाश है जाम-ओ-सुबू से है न है साक़ी से कुछ ग़रज़ गुलचीं है उस को बस गुल-ए-तर की तलाश है हम हैं अज़ल से गर्द-ए-रह-ए-कारवाँ हमें दीवार की तलाश न दर की तलाश है आबाद इक नगर है हमारे वजूद में 'मंज़र' हमें भी अहल-ए-नज़र की तलाश है