नहीं है ख़ुश इज़्तिराब में है मिरा ये दिल भी सराब में है मैं कैसी राहों में खो गई हूँ सभी क़ुसूर इंतिख़ाब में है दुखों-भरी रात कट गई है सितारा सहरी सहाब में है वो यूँ तो लगता है सब के जैसा मगर जुदा कुछ जनाब में है मैं चाहे इस में नहीं हूँ शामिल मगर वो दिल के निसाब में है मैं उस की अंखों में ऐसे डूबी कि डूबा कोई चनाब में है ये मुझ को महसूस हो रहा है 'फ़रह' फिर कोई इ'ताब में है