नहीं कि वो मुझे तन्हा उदास छोड़ गया मिरे नवाह को भी वक़्फ़-ए-यास छोड़ गया अदा हो उस की नवाज़िश का शुक्रिया क्यूँकर जो दे के मुझ को ग़म-ए-बे-क़यास छोड़ गया वफ़ा की राह में क़ुर्बान हो के वो मुझ को भरे जहान में वक़्फ़-ए-हिरास छोड़ गया ये मेरे हाल पे उस के करम की अर्ज़ानी जो गहरी यास में थोड़ी सी आस छोड़ गया अता-ए-हुस्न-शनासी के बा'द वो मुझ को जहान-ए-हुस्न में बहर-ए-सिपास छोड़ गया लुटा के जल्वा-ए-रुख़सार-ओ-लब की रंगीनी वो फूल फूल को रंगीं लिबास छोड़ गया मिरे ख़ुलूस को हासिल था ए'तिबार उस का वो मेरे दिल में ग़मों की असास छोड़ गया उस एक बोसा-ए-रुख़्सत की लज़्ज़त-गीनी जो मेरे होंटों पे सदियों की प्यास छोड़ गया वो अपने हुस्न को हमराह ले गया लेकिन हज़ार हुस्न मिरे आस-पास छोड़ गया अजीब तोहफ़ा है उस की तरफ़ से मेरे लिए किताब-ए-इश्क़ का जो इक़्तिबास छोड़ गया जुदाई उस की बड़ी तल्ख़ है मगर 'मग़मूम' मिरी नवा में वो अपनी मिठास छोड़ गया