नहीं याँ बैठते जो एक दम तुम तो क्या डरते हो हम से ऐ सनम तुम हँसो बोलो मिलो बैठो भला जी नहीं क्या आशिक़-ओ-माशूक़ हम तुम जो याँ आया कभी चाहो तो बे-ख़ौफ़ इधर लाया करो अपना क़दम तुम निहायत सादा-दिल हैं हम तो ऐ जाँ न समझो हम में हरगिज़ पेच-ओ-ख़म तुम सुना जब ये 'नज़ीर' उस ने तो हँस कर कहा ये तो हमें देते हो दम तुम