नई मुश्किल कोई दरपेश हर मुश्किल से आगे है सफ़र दीवानगी का इश्क़ की मंज़िल से आगे है मुझे कुछ देर में फिर ये किनारा छोड़ देना है मैं कश्ती हूँ सफ़र मेरा हर इक साहिल से आगे है खड़े हैं साँस रोके सब तमाशा देखने वाले कि अब मज़लूम बस कुछ ही क़दम क़ातिल से आगे है मुझे अब रूह तक इक दर्द सा महसूस होता है तो क्या वुसअत मिरे एहसास की इस दिल से आगे है मिरे इस कार-ए-बे-मसरफ़ को क्या समझेगी ये दुनिया मिरी ये सई-ए-ला-हासिल हर इक हासिल से आगे है ये अक्सर 'शाद' रखती है मुझे ख़ुश रंग लम्हों से मिरी तन्हाई तेरी रौनक़-ए-महफ़िल से आगे है
This is a great शायरी कोई दीवाना कहता है. True lovers of shayari will love this मुश्किल शायरी.