नज़्म भी गीत भी नग़्मा भी ग़ज़ल भी तू है मेरी सोचों का हसीं ताज-महल भी तू है मेरी बेदारी-ए-एहसास का ज़ामिन भी तू मेरे पाकीज़ा तसव्वुर का बदल भी तू है तुझ से मंसूब हैं ख़ुशियाँ भी अलम भी या'नी मेरी कमज़ोरी भी तू है मिरा बल भी तू है तू ही उलझन का सबब है मिरे हक़ में लेकिन मेरी पेचीदगी-ए-ज़ीस्त का हल भी तू है मेरी तहज़ीब का आईना-ए-बे-दाग़ भी तू मेरा किरदार मिरा हुस्न-ए-अमल भी तू है तेरे ही दम से है रौशन मिरी दुनिया जानाँ मेरा सूरज भी मिरा चाँद कँवल भी तू है सिर्फ़ राक़िम के सिवा कुछ भी नहीं तेरा ‘ख़तीब’ तू ग़ज़ल भी सबब-ए-हुस्न-ए-ग़ज़ल भी तू है