नज़र हथियार करना चाहते हैं अदा से वार करना चाहते हैं निगाहें चार करना चाहते हैं तुम्हें हम प्यार करना चाहते हैं रहे हैं सब्र की बस्ती में ज़िंदा तो अब इज़हार करना चाहते हैं निगाहें बंद कर ली हैं कि जानाँ तिरा दीदार करना चाहते हैं बना कर हौसला पतवार अब हम समुंदर पार करना चाहते हैं अदाकारी दग़ा देने की कर के तुझे होश्यार करना चाहते हैं सुना कर दास्ताँ तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ ज़मीं हमवार करना चाहते हैं रिदा-ए-बे-हिसी ओढ़े हैं याँ जो उन्हें बेदार करना चाहते हैं हिलेंगे लफ़्ज़ों से ऐवान सारे क़लम तलवार करना चाहते हैं गिरफ़्तार-ए-मोहब्बत कर के 'ऐमन' ग़ज़ब सरकार करना चाहते हैं