नज्म बहुत महताब बहुत आँखें हों तो ख़्वाब बहुत प्यार मिला जब ग़ैरों से याद आए अहबाब बहुत मेरे अहद की आँखों में नींदें कम हैं ख़्वाब बहुत कोई आने वाला है मौसम है शादाब बहुत मसरफ़ हो तो हर लम्हा ज़ीस्त का है नायाब बहुत डूबने वालों से कह दो दरिया हैं पायाब बहुत