नक़्श-बर-आब हो गया हूँ मैं कितना कमयाब हो गया हूँ मैं झुर्रियाँ कह रही हैं चेहरे की ख़ुश्क तालाब हो गया हूँ मैं क्या करूँगा मैं अब ख़ुशी ले कर ग़म से सैराब हो गया हूँ मैं याद रखता नहीं मुझे कोई अरसा-ए-ख़्वाब हो गया हूँ मैं इस क़दर बार-ए-ग़म उठाया है झुक के मेहराब हो गया हूँ मैं इक मसीहा की मेहरबानी से जाम-ए-ज़हराब हो गया हूँ मैं ख़ुश्क आँसू हुए हैं जिस दिन से दश्त-ए-बे-आब हो गया हूँ मैं है ये एहसान जब्र-ए-दुनिया का सख़्त आ'साब हो गया हूँ मैं उस ने जिस दिन से छू लिया मुझ को रश्क-ए-महताब हो गया हूँ मैं ख़ुद ही 'एजाज़' अपना दुश्मन हूँ सिर्फ़ अहबाब हो गया हूँ मैं