नक़्श-ए-पा-ए-कारवाँ है ज़िंदगी या'नी याद-ए-रफ़्तगाँ है ज़िंदगी ग़ुंचा-ओ-गुल का तबस्सुम हो तो हो वर्ना पैग़ाम-ए-ख़िज़ाँ है ज़िंदगी या ग़ुरूर-ए-सुब्ह सद-उम्मीद है या ग़म-ए-शाम-ए-बुताँ है ज़िंदगी लज़्ज़त-ए-सद-तल्ख़-बादा है महज़ या सुरूर-ए-जावेदाँ है ज़िंदगी या फ़रेब-ए-हुस्न फ़ित्ना-जू है या सादगी-ए-आशिक़ाँ है ज़िंदगी या सदा-ए-चंग या सौत-ए-रबाब या फ़क़त आह-ओ-फ़ुग़ाँ है ज़िंदगी कोई समझा है न समझेगा उसे सहव-ए-फ़िक्र-ए-नुक्ता-दाँ है ज़िंदगी