नाला जिधर मेरा गुज़र कर गया तीर सा हर दिल में असर कर गया दिल न रहा आप में और मैं ब-ख़ुद मेरी तरफ़ जब वो नज़र कर गया खोल के ज़ुल्फ़ों के तईं चेहरा पर यार बहम शाम-ओ-सहर कर गया अहल-ए-हवस रात गली में तिरी जाने से ऐ शोख़ हज़र कर गया और जो मुझ सा था कोई जाँ-फ़िशाँ दर पे तिरे जी से गुज़र कर गया देखियो साबित-क़दमी क़ैस की इश्क़ में क्या उम्र बसर कर गया राह-ए-ख़तरनाक-ए-मोहब्बत को तय बा-क़दम दीदा-ए-तर कर गया कोई था कूचे में सनम के जो आज गिर्या-ए-ख़ूँ ता-ब-कमर कर गया अक़्ल पे नाज़ाँ हूँ 'जहाँदार' की दिल न दिया उस को हुनर कर गया