नम हुई चश्म-ए-वफ़ा राज़-ए-मोहब्बत खुल गया आख़िरश बंद-ए-क़बा-ए-ज़ब्त-ए-उल्फ़त खुल गया जब दिल-ए-वहशी निगाह-ए-नाज़ का मरकज़ बना हाल दुनिया पर तिरा ऐ जज़्ब-ए-वहशत खुल गया शाह-राह-ए-आरज़ू पर दो क़दम चलने के बा'द हुस्न-ए-क़िस्मत से दर-ए-ज़िंदान-ए-उल्फ़त खुल गया झुक गया फ़र्त-ए-नदामत से गुनहगारों का सर हो गई चश्म-ए-इनायत बाब-ए-रहमत खुल गया दास्ताँ-दर-दास्ताँ थी ज़िंदगी इंसान की देखते ही देखते रंग-ए-हक़ीक़त खुल गया एक जादूई-नज़र के हो गए लाखों शिकार दिल की गिर्हें क्या खुलीं रम्ज़-ए-शहादत खुल गया जब फ़राज़-ए-अर्श पर ऊदी घटा छाई 'सबा' बाब-ए-मय-ख़ाना ब-ए'जाज़-ए-मशिय्यत खुल गया