नम-ए-अश्क आँखों से ढलने लगा है कि फ़व्वारा ख़ूँ का उछलने लगा है डुबा दिल का घर आँख तक आन पहुँचा अब आँसू का नाला उबलने लगा है ये सेब आँब शफ़्तालू नारंगी कमरखा तिरे बाग़ का मेवा पलने लगा है तुम्हारी मियाँ देख ये फल फुलारी मिरा तिफ़्ल-ए-दिल तो मचलने लगा है खजूरें समोसे तले कुछ दिला दो अजी! जी मिरा उन पे चलने लगा है अभी आए कहते हो जाता हूँ लो जी ये सुनते मिरा जी दहलने लगा है मिरी जान जल्द 'अज़फ़री' पास आ जा कि जी उस का तुझ बिन निकलने लगा है