नासेह ये नसीहत न सुना मैं नहीं सुनता बक बक के मिरा मग़्ज़ न खा मैं नहीं सुनता अहवाल मिरा ध्यान से सुनता था व-लेकिन कुछ बात जो समझा तो कहा मैं नहीं सुनता उस बुत ने जो ग़ैरों पे क्या लुत्फ़ तो यारो मुझ से न कहो बहर-ए-ख़ुदा मैं नहीं सुनता कुछ ज़िक्र में ज़िक्र अपना मैं लाया तो वो बोला बस बात को इतना न बढ़ा मैं नहीं सुनता शिकवा से ही करता जो कोई उस से मिरा ज़िक्र तू कहता है हर इक का गिला मैं नहीं सुनता 'मेहनत' को है ये ज़ोफ़ कि कुछ अपनी हक़ीक़त कहता है वो मुझ से तो ज़रा मैं नहीं सुनता