नासेहो दिल किस कने है किस को समझाते हो तुम क्यूँ दिवाने हो गए हो जान क्यूँ खाते हो तुम मुझ से कहते हो कि मैं हरगिज़ नहीं पीता शराब मैं तुम्हारा दोस्त या दुश्मन कि शरमाते हो तुम और जो बैठे रहें तो उन से तुम महज़ूज़ हो जब हमीं आते हैं तो घबरा के उठ जाते हो तुम लो जी अब आराम से बैठे रहो जाते हैं हम फिर न आवेंगे कभी काहे को झुँझलाते हो तुम रात को तुम जिस जगह थे हम को सब मालूम है झूट क्यूँ बकते हो काहे को क़सम खाते हो तुम मुँह बना मेरी तरफ़ आईने का बोसा लिया वाह वा अच्छी तरह से रोज़ डहकाते हो तुम एक तो मैं आप हूँ बे-ज़ार अपनी जान से दूसरे बक बक के मेरे जी को घबराते हो तुम ऐ कबूतर ऐ सबा ऐ नाला ऐ फ़रियाद आज कहियो दिलबर से अगर कूचे तलक जाते हो तुम 'सोज़' का दिल ख़ुश तो हो जाता है वादों से मियाँ पर ग़ज़ब ये है कि वक़्त ही पर मुकर जाते हो तुम