नसीम-ए-सुब्ह परेशाँ है देखिए क्या हो ख़िज़ाँ की ज़द में गुलिस्ताँ है देखिए क्या हो गुलाब ज़र्द हुआ लाला दाग़-दार हुआ शगूफ़ा ख़ौफ़ से लर्ज़ां है देखिए क्या हो इरादा वहशत-ओ-ग़ारत-गरी है ज़ालिम का निशाना शहर-ए-निगाराँ है देखिए क्या हो वो अब्र जिस के बरसने से फूल खिलते थे वो आज शो'ला-ब-दामाँ है देखिए क्या हो लगी हैं यारों की आँखें नए हवादिस पर हर एक आइना हैराँ है देखिए क्या हो सभी रफ़ीक़-ओ-शफ़ीक़ आज छूटे जाते हैं बदन से रूह गुरेज़ाँ है देखिए क्या हो ग़म-ए-हयात से मुमकिन नहीं मफ़र लेकिन नजात मिलने का इम्काँ है देखिए क्या हो