क़यास बन-बास को मुआ'नी दे दे मुझे फिर कोई कहानी दे बख़्श जज़्बों को दाइमी शोभा शेर को उम्र-ए-जावेदानी दे कर्बला! मेरी जद्द पे गुज़री किया हाल-अहवाल कुछ ज़बानी दे ख़ातम-ए-ज़र कि आँसुओं के गुहर जो भी देता है तू निशानी दे डाल गंदुम पे केसरी चुन्द्री धान के सर पे शाल धानी दे कोई एजाज़-ए-महरमाना फिर कोई आवाज़ तो पुरानी दे मंतक़े सब ज़मीं के कर ज़रख़ेज़ रंग धरती को आसमानी दे कौन पैदा हो या-अली तुझ सा अपने क़ातिल को कौन पानी दे इक न इक दिन तो प्रियत्मा से मिला इक न इक रात तो सुहानी दे हाथ को हिर्स की हवा से बचा आँख को दिल की तर्जुमानी दे राजा चौपट अंधेर-नगरी का इस कहानी को मत रवानी दे