ना-तवानी में पलक को भी हिलाया न गया देख के उन को इशारे से बुलाया न गया सख़्त-तर संग से भी दिल है उन्हों का शायद नक़्श जिस पर किसी उन्वान बिठाया न गया गुलशन-ए-ख़ुल्द में हर-चंद कि दिल बहलाया कूचा-ए-यार मगर दिल से भुलाया न गया शिकन-ए-ज़ुल्फ़ से दिल साफ़ नज़र आता है इस अँधेरे में तअ'ज्जुब है छुपाया न गया देख कर कल वो मिरा हाल-ए-परेशाँ 'आरिफ़' ऐसा घबराए कि आँखों को चुराया न गया