नौजवानी की दीद कर लीजे अपने मौसम की ईद कर लीजे कौन कहता है कौन सुनता है अपनी गुफ़्त-ओ-शुनीद कर लीजे अब के बिछड़े मिलोगे फिर कि नहीं कुछ तो वादा वईद कर लीजे अपने गेसू दराज़ के मुझ को सिलसिले में मुरीद कर लीजे है मसल एक नाह सद आसान यास ही को उम्मीद कर लीजे हाँ अदम में कहाँ है इश्क़-ए-बुताँ इस को याँ से ख़रीद कर लीजे वस्ल तब हो उधर जब ईधर से पहले क़त-ओ-बुरीद कर लीजे क़त्ल क्या बे-गुनह का मुश्किल है चाहिए जब शहीद कर लीजे उस की उल्फ़त में रोते रोते 'हसन' ये सियह को सपीद कर लीजे