ना-उमीदी की बात मत करना ज़ाएअ' अपनी हयात मत करना ग़ैरत-ए-दिल का ये तक़ाज़ा है दिन को तस्लीम रात मत करना कैसे कह दोगे ज़ेहन-ए-आदम से फ़िक्र-ए-कुल-काएनात मत करना चाँदनी में नहाए फूलों को नज़्र-ए-तारीक रात मत करना दश्त मेरे जुनूँ को कहता है मेरी वुसअ'त को मात मत करना एक मुद्दत के बाद सोया हूँ ज़ोर से कोई बात मत करना बे-ज़मीरों की ज़ात में शामिल 'नाज़' तू अपनी ज़ात मत करना