नया दिल नया हौसला चाहता हूँ हर इक गाम शौक़-आश्ना चाहता हूँ न मंज़िल न उस का पता चाहता हूँ फ़क़त आप का नक़्श-ए-पा चाहता हूँ वफ़ाओं के बदले वफ़ा चाहता हूँ मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ जो ज़ौक़-ए-जुनूँ आम कर दे जहाँ में मैं वो नग़्मा-ए-जाँ-फ़ज़ा चाहता हूँ मिला दे जो आपस में लोगों के दिल को वतन में वो आब-ओ-हवा चाहता हूँ जो उठ कर बरस जाए दैर-ओ-हरम पर फ़ज़ाओं में ऐसी घटा चाहता हूँ हर इक रिंद के हाथ में जाम-ए-जम हो कुछ इस शान का मै-कदा चाहता हूँ गुल-ओ-लाला सहन-ए-चमन में खिला कर बहारों के हाथों लुटा चाहता हूँ