नए हर रोज़ होते हादसे अच्छे नहीं लगते बहुत हालात भी सहमे हुए अच्छे नहीं लगते मुहाफ़िज़ है तिरा दामन बहुत ही ख़ून में आलूद मगर ये दाग़ दामन पर तिरे अच्छे नहीं लगते फ़क़त अम्न-ओ-अमाँ की बात हो तो अच्छा लगता है दिलों में ख़ौफ़ दहशत वसवसे अच्छे नहीं लगते क़दम पिछ्ला उठाएगा तभी आगे बढ़ेगा तू शिकस्ता दिल शिकस्ता हौसले अच्छे नहीं लगते ज़ियादा जानते हैं जो ज़ियादा चुप ही रहते हैं अगर हम भी ज़ियादा बोलते अच्छे नहीं लगते चलो मिल कर रहें जब फूल इक डाली के हैं दोनों गुलों के दरमियाँ ये फ़ासले अच्छे नहीं लगते अमीरी और ग़रीबी देख कर ये फ़ैसले करना अमीर-ए-शहर तेरे फ़ैसले अच्छे नहीं लगते तुम्हें आवाज़ देता हूँ चले आओ जहाँ हो तुम तुम्हारे हिज्र में अब रतजगे अच्छे नहीं लगते नसीहत और हिकायत है नई नस्लों की ही ख़ातिर पुराने दौर के अब फ़लसफ़े अच्छे नहीं लगते कभी बारिश कभी गर्मी कभी सर्दी ज़रूरी है किसी को 'साद' मौसम एक से अच्छे नहीं लगते