नए मौसमों मैं ढल कर देखना था हमें ख़ुद को बदल कर देखना था बला की ख़ूबसूरत है ये दुनिया इसे घर से निकल कर देखना था बहुत मुमकिन था रस्ते रास आते हमें कुछ दूर चल कर देखना था हम अपने-आप से उक्ता गए हैं हमें ख़ुद से निकल कर देखना था उन आँखों को ग़लत लत लग गई है हसीं मंज़र सँभल कर देखना था बुतों पर तब्सिरा करने से पहले तुम्हें पत्थर में ढल कर देखना था