नए सफ़र में जो पिछले सफ़र के साथी थे फिर आए याद कि उस रहगुज़र के साथी थे कहूँ भी क्या मुझे पल-भर में जो बिखेर गए हवा के झोंके मिरी उम्र-भर के साथी थे सितारे टूट गए ओस भी बिखर सी गई यही थे जो मिरी शाम-ओ-सहर के साथी थे शफ़क़ के साथ बहुत देर तक दिखाई दिए वो सारे लोग जो बस रात-भर के साथी थे ये कैसी हिज्र की शब वो भी साथ छोड़ गए जो चाँद-तारे मिरी चश्म-ए-तर के साथी थे