नज़र में प्यार दिलों में मोहब्बतें रखना किसी दयार में रहना सदाक़तें रखना जुदाई फेंक न दे दर्द के समुंदर में तअ'ल्लुक़ात रखो तो रिफाक़तें रखना हम अपने पास यक़ीनों के ताज रखते हैं हमें पसंद नहीं है ज़रूरतें रखना अभी हयात के शजरे में कुछ महाज़ भी हैं हमारी नस्ल के आगे शुजाअतें रखना ये ज़र्क़-बर्क़ लिबासों से कुछ नहीं होगा जो रख सको तो घरों में तिलावतें रखना