नीम बिस्मिल की क्या अदा है ये आशिक़ो लोटने की जा है ये शब-ए-वस्ल-ए-सनम विला है ये बोसे होंटों की ले मज़ा है ये दिल को क्यूँ पाएमाल करते हो न तो सब्ज़ा ही न हिना है ये काट कर सर लगाइए ठोकर क़त्ल-ए-आशिक़ का ख़ूँ-बहा है ये दूद-ए-दिल क्यूँ न रश्क-ए-सुम्बुल हो आतिश-ए-हुस्न से जला है ये ज़ुल्फ़ में क्यूँ न दिल रहे बेदार लैलतुल-क़द्र से सिवा है ये आँखें उस की सियाह हैं अज़-ख़ुद तूतिया किस का तूतिया है ये क्या है नाम-ए-ख़ुदा है मेरा सनम बुत जिसे कहते हैं ख़ुदा है ये ज़ुल्फ़ में दिल मुदाम रहता है देखना किस के सर चढ़ा है ये दर पे नालाँ जो हूँ तो कहता है पूछो क्या चीज़ बेचता है ये चूमता हूँ मैं अपने दिल के क़दम बोसा-ए-यार का गदा है ये दफ़्न मस्जिद में मेरे दिल को करो ताक़-ए-अबरू पे मर गया है ये ताक़-ए-अबरू-ए-यार को देखूँ ऐन काबे में इल्तिजा है ये क़द-ए-जानाँ नहीं क़यामत है ज़ुल्फ़-ए-जानाँ नहीं बला है ये गो सनम मुर्दे ज़िंदे करता है कौन काफ़िर कहे ख़ुदा है ये हो शहादत नसीब 'गोया' को फ़िदवी-ए-शाह-ए-कर्बला है ये