नेमुल-बदल नहीं तिरे ज़िंदा वजूद का दीवार पर लगी तिरी तस्वीर क्या करें तेरे बग़ैर चैन न आए किसी तरह तेरे ही दर के हो रहे दिल-गीर क्या करें हर एक रब्त ऐसे तलब का हुआ असीर रुकना न चाहो तुम तुम्हें ज़ंजीर क्या करें क़दमों को बाँध देती है यूँ रहगुज़र तिरी कटता नहीं सफ़र तिरे राहगीर क्या करें मुद्दत से उस के शहर में 'आमिर' नहीं गए इस के सिवा भला कोई तदबीर क्या करें