निगाह दिल के लिए जाल के मुसावी है ये आईना तिरी तिमसाल के मुसावी है गए दिनों में जिसे बदतरीन कहते थे अब अच्छा हाल भी उस हाल के मुसावी है नज़र झुकाए पड़ा हूँ मैं अपने पाँव में ये जा मिरे लिए पाताल के मुसावी है क़सम ख़ुदा की किसी और पर अगर गुज़रे ये कैफ़ियत किसी भूँचाल के मुसावी है समझ सकें तो ये पल पल धड़कता दिल अपना शुमार वक़्त के घड़ियाल के मुसावी है मिरे सवाल से ले कर तिरे जवाब तलक ज़रा सा वक़्फ़ा कई साल के मुसावी है तुम्हारी याद की दस्तक हमारी धड़कन पर तुम्हारी की हुई मिसकॉल के मुसावी है